अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बहन से मिला. हम दोनों की जवानी ने जोर मारा और मैं उसकी चुदाई के लिए उसे अपने खेतों में ट्यूबवैल के कमरे में ले आया. जवान लड़की की पहली चुदाई का मजा लें.
मेरे ख़ास दोस्त की बहन की चूत चुदाई की इस कहानी के पहले भाग
दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-1
में आपने पढ़ा कि मैं दीपावली की शुभकामनाएं देने अपने दोस्त के घर गया तो उसकी बहन से मुलाकात हुई. उसकी जवानी मुझे घायल कर गयी. बातों बातों में हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी भावनाएं बता दी और मैं उसकी पहली चुदाई के लिए उसे अपने खेतों में ट्यूबवैल के कमरे में ले आया.
अब आगे:
वो बोली- भैया, मुझको शर्म आ रही है।
मैंने कहा- शर्म कैसी पागल जब भैया तुझे चोदने के लिए तैयार है और तू भैया से चुदवाने के लिए।
उसने शर्म से अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया। मैंने उसके हाथ ऊपर कर उसका कमीज निकाल दिया।
अब वह नीले रंग की ब्रा में मेरे सामने खड़ी थी। उसके बाल उसके चूतड़ों से नीचे तक की लंबाई के थे, जिनको उसने बाँध कर रखा था. मैंने उसे सीने से लगा कर उसके बालों को खोल दिया।
पीहू को सीने से चिपकाए हुए ही मैंने अपने दोनों हाथों को उसकी कमर पर फिराते हुए ऊपर ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके कंधों पर से ब्रा की डोरी को सरकाकर नीचे कर ब्रा को उसके जिस्म से अलग कर दिया।
अब मैंने पीहू को घुमाकर उसकी पीठ को सीने से चिपका कर दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ के निप्पल जोर से मसलने लगा।
पीहू ने कहा- भैया धीरे धीरे करो दर्द हो रहा है, अब मैं तुम्हारी हो गयी हूँ।
मैंने कहा- पीहू जान … यह तो प्रेम का मीठा दर्द है … भैया का प्यार में दिया इतना दर्द नहीं सहोगी?
तो उसने कहा- आप मेरे भैया और सईंया आज से दोनों हैं।
मैंने अपने शर्ट और बनियान को निकाल दिया और पीहू को सीने से लगा लिया. फिर पीहू को गोद में उठा कर खाट पर लिटा दिया।
अपनी पैंट निकाल कर मैं पीहू के ऊपर चढ़ गया। मैं पीहू के चेहरे को चूमने लगा. उसके चेहरे को चूमते हुए उसके कानों को भी बारी बारी मुंह में लेकर चूसने लगा।
पीहू पूरी तरह से चुदासी होकर मादक आहें भरने लगी थी।
फिर मैं उसके कानों को चूमते हुए उसके गर्दन और कंधों को चूमने लगा। पीहू के कंधों से होते हुए उसके बायें हाथ को चूमते हुए उंगलियों तक आया और बारी बारी उसकी अंगुलियों को मुंह में लेकर चूसने लगा.
फिर यही सब उसकी दायें हाथ के साथ भी किया।
पीहू मादक आहें भर रही थी और मुझसे बोली- भैया कुछ हो रहा है, जल्दी करिये.
मैंने कहा- क्या?
तो वो शर्मा गयी।
मैंने उसकी चूचियाँ के निप्पलों को दोनों हाथों की उंगलियों और अंगूठे से मसलते हुए पूछा- मेरी प्यारी बहना, क्या करूँ तुम्हारे साथ?
तो वो बोली- भैया, आप बहुत बेशर्म हो गए हैं।
तब मैंने उसके दोनों निप्पलों को जोर से मसलते हुए कहा- अपनी प्यारी बहना को चोदने के लिए बेशर्म तो होना ही पड़ेगा।
उसके मुँह से एक आह निकल गयी शर्माकर उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
अब मैं पीहू की बायीं चूची की निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दायीं चूची को अपने हाथों से मसलता रहा.
पीहू धीरे धीरे आहें भर रही थी.
फिर मैं पीहू की दायीं चूची को मुंह में लेकर बायीं को मसलने लगा।
मैंने पीहू से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो वो बोली- बहुत अच्छा भैया।
उसकी चूचियों को चूसने के बाद उसके पेट और कमर को चूमने लगा उसके बाद मैंने पीहू की ठोड़ी के चारों तरफ अपनी जीभ से चाटने लगा।
पीहू ने मेरा सर कसकर पकड़ लिया और धीरे धीरे ‘आह भैया … आह …’ कह कर आहें भर रही थी।
अब मैंने पीहू के सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को निकाल दिया। अब वो मेरे सामने नीले रंग की पैंटी में थी। पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी बुर पर किस किया तो वो सिहर उठी।
मैंने उसकी पैंटी को उसकी टाँगों से निकल दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी।
पीहू का गोरा जिस्म बहुत ही खूबसूरत लग रहा था।
मैंने उसकी टांगों को फैलाकर अपना मुँह उसकी बुर पर रख कर किस किया तो वो सिहर उठी।
अब मैं अपनी जीभ उसकी बुर के अंदर डालकर चाटने लगा तो उसने मेरे सर को कसकर पकड़ लिया और धीरे धीरे ‘भैया … भैया …’ कहते हुए आहें भरने लगी.
लगभग पांच मिनट तक मैं उसकी बुर को चूसता रहा.
इसके बाद पीहू शरीर अकड़ने लगा और उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया।
स्खलित होने के बाद पीहू काफी रिलैक्स दिख रही थी।
पीहू से मैंने कहा- अब तुम्हारी बारी है.
और उसके ऊपर लेट कर उसको बांहों में भर कर करवट बदल कर उसको ऊपर कर दिया।
उसकी दोनों टांगों में अपनी टाँगें फंसा ली और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से दबाते हुए कहा- किस करो पूरे बदन को!
तो पीहू मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर किस करने लगी।
चेहरे को कुछ देर चूमने के बाद उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी जीभ मेरे मुँह डाल दिया. मैं उसकी जीभ चूसते हुए उसकी कमर को सहला रहा था और उसके चूतड़ों को दबा रहा था।
उसके बाल कुछ उसके चूतड़ों पर थे कुछ बाल मेरे चेहरे के दोनों तरफ लटके थे। बालों के साथ उसके कमर को सहलाने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था।
इसके बाद मेरे गले को चूमते हुए पीहू नीचे मेरे सीने की तरफ आयी और मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। धीरे धीरे पीहू फिर गर्म होने लगी थी।
निप्पलों को चूसने के बाद जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे अपनी चड्डी उतारने का इशारा किया।
उसने मेरी चड्डी को उतार दिया।
मैंने लन्ड चूसने का इशारा किया तो वो मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी। मैं पीहू के बालों को सहलाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने पीहू को रुकने का इशारा किया. वो मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर ऊपर की तरफ खींच लिया और पीहू के होंठों को चूसने लगा।
कुछ देर तक उसके होंठों को चूसने के बाद मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके बायें पैर की एड़ी को चूमते हुए उसके चूतड़ों तक आया फिर उसके दायें पैर की एड़ी को चूमते हुए चूतड़ों तक आया।
उसके बल उसके चूतड़ों तक फैले हुए थे। उनके ऊपर से ही उसके चूतड़ों को किस करते हुए उसकी पूरी पीठ पर चुम्बन करने लगा।
अब तक पीहू पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और आहें भरने लगी थी।
मैंने पीहू के चूतड़ों पर अपने दांतों से हल्का सा काट लिया तो उसने एक मदहोश करने वाली आह भरी। फिर मैंने पीहू को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनों टाँगों को फैलाकर उनके बीच में घुटनो के बल बैठ गया।
पीहू मेरी तरफ मदहोश होकर देख रही थी।
मैंने पीहू से कहा- मेरी प्यारी बहना दीपावली की शाम अपने भाई के लन्ड से चुदने के लिए तैयार है।
तब पीहू ने सर हिलाकर हाँ का इशारा किया।
मैंने कहा- ऐसे नहीं, बोलकर कहो!
तब उसने कहा- हाँ, मेरे प्यारे भैया, आपकी बहन भाई के लन्ड से चुदने के लिए तैयार है।
पीहू ने कहा- भैया … पर आपका इतना मोटा लन्ड मेरी बुर में कैसे जाएगा?
तब पीहू से मैंने पूछा- सच बताओ कि अब तक कभी चुदी हो या नहीं?
तो उसने कहा- नहीं … पर कभी कभी उंगली से कर लेती हूं।
पीहू बोली- भैया, इतना मोटा लंड मेरी बुर में नहीं जा पायेगा.
तो मैंने कहा- पहली बार में हल्का सा दर्द हो सकता है। अपने भाई के लिए इतना तो कर ही सकती हो?
तो उसने हाँ का इशारा किया।
मैंने मुँह से ढेर सारा थूक उसकी बुर और अपने लन्ड पर लगाया और अपना लन्ड उसकी बुर की छेद पर रख कर पीहू की तरफ देखकर कहा- डालूं? तैयार हो?
तो उसने हाँ कहा.
फिर मैंने उसकी कमर को जोर से पकड़ कर लन्ड पर दवाब बनाकर एक झटके से पूरा लन्ड उसकी बुर में उतार दिया।
मुझे ऐसा एहसास हुआ जैसे मेरा लन्ड किसी चीज़ को चीरते हुए आगे बढ़ रहा था।
और पीहू के मुंह से एक आह निकल गयी।
मैंने पीहू से पूछा- दर्द तो नहीं हो रहा है?
तो उसने कहा- नहीं … मैं तो सोचती थी कि बहुत दर्द होगा।
तब मैंने कहा- अगर लड़की को पूरी तरह गर्म करके चुदने के लिए तैयार करके लन्ड डालेंगे तो उसे ज्यादा दर्द नहीं होता है।
इस पर पीहू ने कहा- पर भैया, ऐसा लग रहा है जैसे कोई गर्म लोहे का रॉड मेरी बुर में चल गया है।
तब मैंने कहा- मुझे भी ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लन्ड किसी गर्म भट्टी में चला गया है। पीहू तुम्हारे अंदर बहुत गर्मी है जिसे मैं अपने लन्ड से पानी निकाल कर तुम्हारी जिस्म की गर्मी को आज शांत करूँगा।
यह सुनकर पीहू मुस्कुराने लगी और बोली- तो शांत कर दीजिए।
और मैं धीरे धीरे पीहू की चूचियाँ दबाते हुए धक्के मारने लगा।
नीचे से पीहू भी धक्के लगाकर जवाब दे रही थी और धीरे धीरे बोल रही थी- चोद दो भैया … और चोदो।
कुछ देर ऐसे ही अपने दोस्त की बहन की चूत को चोदने के बाद मैं रुक गया और पीहू से कहा- अपनी टांगें मेरी कमर में लपेट लें और हाथों से मुझे कसकर बांहों में भर ले. मैं तुझे खाट से उठाऊंगा.
तो उसने ऐसा ही किया।
मैंने पीहू को खाट से अपनी गोद में उसकी बुर में अपना लन्ड डाले ही उठा लिया। मैंने पीहू को लाकर दरवाजे से लगा दिया और उसकी बायीं चूची को मुंह में लेकर पीने लगा.
तो पीहू ने कहा- भैया, मैं आपको भारी नहीं लग रही हूँ?
तो मैंने कहा- मेरी बांहों में इतनी ताकत तो ही ही कि तुम्हें गोद में लेकर चोद सकूँ।
मैंने उसके चूतड़ों को नीचे से उठाया हुआ था और वो मुझे अपने पैरों से कसकर लपेटे हुए अपनी बांहों के घेरे में लेकर मुझसे कसकर चिपकी हुई थी।
उसकी नर्म चूचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थी और मैं उसके होंठों का रस पी रहा था।
मैंने उससे पूछा- कैसे लग रहा है?
तो उसने कहा- बहुत ही अच्छा! भइया पर ये आप किसी को कभी बताइयेगा मत … नहीं तो तो मैं मर ही जाऊंगी।
मैंने उससे कहा- आज के बाद मरने की बात कभी मत करना! तुम्हें तो जीना है मेरे लिए! वादा करो कि तुम मुझे यूं ही प्यार करोगी.
तो उसने कहा- भैया, मैं हमेशा आपकी रहूंगी, जब चाहे आप मुझसे प्यार कर सकते हैं।
पीहू से मैंने कहा- पीहू, दरवाजा खोलो!
तो उसने कहा- क्यों भैया?
मैंने कहा- पहले खोलो, फिर बताऊंगा.
तो उसने दरवाजा खोल दिया।
मैं उसे गोद में लिए बाहर आ गया तो उसने कहा- भैया, कोई देख लेगा.
तो मैंने कहा- देखो बाहर कितना अंधेरा है. वैसे भी यहाँ खेत पर कौन आएगा।
उसने चारों तरफ देखा, फिर बोली- भैया, आप मुझे बाहर क्यों लाये हो?
तो मैंने कहा- मेरी प्यारी बहना, तेरी चुदाई खुले आसमान के नीचे खेत में करूँगा.
तो उसने कहा- भैया, आप बहुत शरारती हो।
पीहू को मैंने अपनी गोद से नीचे उतार दिया, उससे बोला- बहना, अब तुम घोड़ी बन जाओ, पीछे से तुमको चोदूंगा।
वो घोड़ी बन गयी मैं भी उसके पीछे घुटनों के बल बैठ गया और अपना लन्ड उसकी बुर में पीछे से डाल दिया.
मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा, नीचे से वो आहें भर रही थी।
कुछ देर चोदने के बाद मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
फिर कुछ देर बाद उसके बालों को पकड़ कर उसका सर हल्का पीछे खींच कर फिर से उसे चोदने लगा. जब मुझे लगता कि मेरा माल निकल जायेगा तो मैं रुक जाता और उसके बाद उसके जिस्म से कुछ देर खेलने लगता।
लगभग पन्द्रह मिनट तक उसे घोड़ी बनाकर चोदने के बाद मैंने अपना लन्ड उसकी बुर से निकाल कर उसको खड़ा किया।
अब तक कि चुदाई से वो मस्त हो गयी थी वो सही से खड़ा भी हो पा रही थी।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोली- आप बहुत बेरहम होकर चोद रहे हैं.
तब मैंने कहा- क्या तब मज़ा नहीं आ रहा?
तो वो बोली- मज़ा तो बहुत आ रहा है भइया। क्या आप मुझे हमेशा ऐसे ही प्यार करेंगे?
मैंने कहा- हाँ, हमेशा करूंगा।
फिर मैंने उसे गोद में लेकर रूम के अंदर लेकर खाट पर लिटा दिया. उसकी दोनों टाँगें फैलाकर अपना लंड उसकी बुर में डाल कर मैं उसके ऊपर लेट गया.
उसकी उसकी आँखों में देखते हुए मैं बोला- मेरी प्यारी बहना को मेरे लन्ड की चुदाई कैसी लगी?
तो वो बोली- भैया, आप बहुत अच्छा चोदते हैं.
फिर मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे चोदने लगा.
कुछ देर बाद उसने पानी छोड़ दिया और मुझसे बोली- भैया बस करो!
तो मैंने कहा- बस थोड़ी देर और!
मैं जोर से धक्के लगा कर उसको चोदने लगा।
कुछ देर बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा, मैं पीहू के ऊपर लेट कर और जोर से धक्के लगाकर उसे चोदने लगा. पीहू ने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।
मेरे लन्ड ने अपना सारा माल पीहू की बुर में निकल दिया और मैं निढाल होकर पीहू के ऊपर लेट गया।
कुछ देर ऐसे ही पीहू के ऊपर लेटा रहा और पीहू मेरी पीठ सहलाती रही.
उसके बाद मैं उसके ऊपर से उठ गया।
मैंने उसकी चड्डी से अपना लन्ड साफ करके उसकी बुर को भी साफ किया।
पीहू से मैंने कहा- पीहू आज की चुदाई के यादगार के रूप में ये तुम्हारी चड्डी और ब्रा मेरे पास रहेगी.
तो वो मुस्कुराती हुई बोली- रख लीजिए।
उसके बाद हम दोनो ने कपड़े पहन लिए और मैं पीहू को लेकर घर आ गया।
दोस्तो, आपको मेरी यह दोस्त की बहन की चूत की चुदाई कहानी कैसी लगी?
आप मुझे singh231raj@gmail.com पर बताना न भूलें. जल्द ही मैं एक नई कहानी के साथ आऊंगा. तब तक के लिए नमस्कार।
कहानी का अगला भाग: दोस्त की बहन बनी गर्लफ्रेंड-3